नमस्कार दोस्तों ,
मेरा नाम ओमवीर सिंह है | मेरे पिता श्री रामजीलाल और माताजी स्व. श्री मती सरबती देवी प्रारंभ से ही चाहते थे कि में कुछ बनू और इस अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने पूरी मेहनत और लगन के साथ पढाया लिखाया |
मेरी कहानी सुरु होती हैं सन 2005 से जब मेरी मां को अधरंग का रोग हो गया और मेरी बहन विद्यावती का भी देहांत हो गया | घर कि आर्थिक स्थिती सुरु से ही सही नही थी और इस घटना ने तो घर की स्थिती और ख़राब हो गयी |
सन २०११ में मैंने जैसे तैसे श्री गौरी शंकर इंटर कॉलेज से हाई स्कूल कि परीक्षा ७३.५० % से उत्तीर्ण की और में पूरे कॉलेज में प्रथम स्थान पर आया | फिर मुझे नवोदय विधालय एग्जाम की तैयारी करने वाले विधार्थी मिले और में उन्हें पढ़ानेन लगा | विद्धालय वालों ने मदद की और कुछ फीस माफ़ कर दी और में पुन् पढाई करने के लिए इंटरमीडिएट मं उसी विधालय में दाखिला ले लिए | एकआद दिन तो ज़िंदगी में ऐसे भी आये की इंटरमीडिएट की मैथ के पेपर वाले दिन घर में खाना भी नही बना और क्योकी कई दिनों से घर में बहुत ही तंगी चल रही थी और उस समय कुछ ज्यादा ही खराब दिन आ गया और मने केवल चाय वो भी बिना दूध वाली पीकर पूरी रात तैयारी की | और मुझे फिजिक्स , केमिस्ट्री , मैथ्स , तीनो में 96 अंक मिले |
सन २०१३ में 91% अंकों से उतीर्ण हुआ फिर मैंने विधालय में प्रथम और जनपद में तृतीय स्थान प्राप्त किया |
ज़िलाधिकारी ने पुरुस्कृत किया और उसी दिन से मैंने ठान लिया कि मं भी आईएएस बनूँगा|
में जिलाधिकारी से व्यक्तिगत तौर पर मिला और मने आईएएस बंनने की पूरी प्रक्रिया को समझा |
फिर मैंने बीएससी प्रथम वर्ष दाखिला लिया| उसी समय मेरे घर वालों ने मेरा विवाह श्री लालाराम की पुत्री आयशा जुल्का से तय कर दिया नौकरी लगने के बाद 10/12/2016 को में और आयशा जुल्का विवाह के बंधन में बध गए | मेरी पत्नी ने मेरा पूरा साथ दिया हमेशा साथ दिया और और आशा है की ज़िंदगी भर साथ देगी | साथ ही मेरे ससुरालीजनों ने मेरी हर तरह से मेरी मदद की | एक फिर से धन्यवाद | जिस दिन मेरा रिजल्ट आया राजस्व सेवा से उसके एक दिन के पहले ही मेरी माँ का देहांत हो गया जो सायद मुझे दुनिया मं सबसे ज्यादा चाहने वाली थी मेरी में की म्रत्यु के समय में कुछ नही कर सका | अस्पताल प्रशाशन की लापरवाही की वज़ह से मेरी माँ मुझे छोड़कर हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़कर च;ली गयी और में चाहकर भी कुछ नही कर सका |
सॉरी माँ मुझे माफ़ कर देना |
और तीनो साल पड़ाई की और वर्ष २०१६ में ६५.७६% से स्नातक की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली |
चूँकि में कोई ज्यादा ब्रिलिंएंट विधार्थी नही था सामान्य स विधार्थी था |
२०१६ में मेरा चयन चार सरकारी नौकरी के लिए हो गया जिसमे राजस्व विभाग में सर्वप्रथम मैंने आजमगढ़ में जोइनिंग ली ...
आजमगढ़ के जिलाधिकारी द्वारा मुजनवरी २०१७ में आईएएस के लिए बहुत प्रेरणा मिली |
क्युकी 18 जून को आईएएस प्राम्भिक परीक्षा थी तो तैयारी में जुट गया |...
धन्य हैं ऐसे माता पिता जिन्होने मुझे जन्म दिया
में आप दोनों का बहुत आभारी रहूंगा
मुझे भी लाल बहादुर शास्त्री रास्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में जाना था |
आईएएस बनने का सफ़र अभी जारी जारी|
ग़ालिब साहब ने भी क्या खूब लिखा है
" हाथ की लकीरों पे मत जा ए ग़ालिब
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते "|
धन्यवाद दोस्तों
आपका
ओमवीर सिंह